Atharvavedīya pariśishṭa granthoṃ kā pariśīlana

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Nāga Pabliśarsa, 2005 - Atharvapariśiṣṭa - 192 pages
Study of Atharvapariśiṣṭa, supplements of Atharvaveda.

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अग्नि अथर्व अथर्वपरि अथर्वपरिशिष्ट में अथर्ववेद के अध्याय अनेक अन्य अभिचार इन इन्द्र इस इस प्रकार इसके इसमें इसी उत्पन्न उपनिषद् उल्लेख किया गया उसके ऋग्वेद एक एवं और करके करने का करने के लिए करने से कर्म कर्म को कर्मों कहा गया का उल्लेख किया का नाश का विधान काण्ड किया गया है किया जाता है किया है की गयी है की प्राप्ति कुछ कृत्य कृत्यों के अन्तर्गत के लिए के समान के होने पर को करना चाहिए को करने कौशिक चन्द्रमा जल जाने पर जो तथा दक्षिणा दिया नक्षत्र नक्षत्रों नहीं ने पुरोहित ब्रह्मा ब्राह्मण मन्त्रों में भी यजुर्वेद यह या युद्ध राजा को रूप रोग रोगों वर्णन किया गया वाराणसी वाले विजय विधि विभिन्न विवेचन विषय वेद वेदों व्यक्ति शत्रु शब्द सभी समय सूक्त सूत्र सूर्य से सम्बद्ध ही हुआ है कि हैं हो होता है होती होते हैं होम करना

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