Jīvana gāthā |
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अथवा अन्य अपना अपनी अपने अब आज आदि आप आपके आया आश्रम इस इस प्रकार इसी ईश्वर उन उनकी उनके उन्हें उस उसके उसे एक ऐसा और कबीर कर करता करते करने कहीं का कार्य कि किन्तु किया किसी की कुछ के पास के लिए के साथ को कोई क्या गई गए गये गुरु ग्राम घर जब जा जाता जाने जी की जी को जी ने जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दिन दिया दे नहीं नाम ने कहा पर प्रेम फिर बहुत बात भगवान् भी मन मनुष्य महात्मा महाराज जी के मुझे में मेरठ मेरे मैं यदि यह यही रहा था रही रहे थे राम रामबख्श लगा लगे लोग लोगों वह वहाँ वाले विचार श्री महाराज जी श्री सन्त नेकीराम संसार सकता सत्संग सन्त नेकीराम जी सब समय साधु से स्वयं हम ही हीरादास हुआ हुए है है कि हैं हो गया होता होने