Kabīra kā rahasyavāda

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Sahitya bhavana, 1961 - Mysticism in literature - 213 pages

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Contents

Section 1
78
Section 2
81
Section 3
82

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Common terms and phrases

अथवा अनंत अनुभूति अनुसार अपना अपनी अपने आत्मा इस इस प्रकार इसी ईश्वर उनके उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसने उसमें उसी उसे ओर और परमात्मा कबीर के कभी कर करता करती है करते करने कहते हैं कहा कहै कबीर का कारण किया किसी कुछ के लिए केवल को कोई गई गया गुरु चक्र जब जा जाता है जाती जाय जिस जीवन जो ज्ञान तक तब तो था थे दिया दिव्य दोनों द्वारा नहीं नाम ने पद पर परमात्मा की पृष्ठ प्रकार प्राणायाम प्रेम प्रेम के फिर बहुत बार बिन भावना भी मन माया में मेरे मैं यदि यह यही या रहस्यवाद राम रे लिया ले वह वे शक्ति शब्द शरीर श्रात्मा संबंध संसार के सकता है सकती सकते सत्पुरुष सदैव सब समय से स्थान स्थिति हम हरि ही हुआ हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो जाता है होकर होता है होती होने

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