Kathākāra Nirālā kā prema-darśanaThe theme of love as portrayed in the works of Surya Kant Tripathi, 1896-1961, Hindi author; a study. |
Contents
1 प्रेम का तात्त्विकविश्लेषण | 9 |
मानवप्रेम के आदर्शवादी | 39 |
कहानियों रेखाचित्रों एवं निबन्धों में न्यस्त प्रेमदृष्टि | 101 |
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अधिक अन्य अपनी अपने अप्सरा अलका आदि इन इस इसी उक्त उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसकी उसके उसे एक एवं ओर और कथा कथाकार कर करता है करते कहानी कहानीकार का काम कालिदास किन्तु किया है की दृष्टि कुछ कुल्ली के कारण के प्रति के बाद के माध्यम से के लिए के साथ को गया है चम्पा चेतना जब जा जिस जीवन जैसे तक तथा तुलसीदास तो था थी थे दिया दृष्टि से दोनों द्वारा नहीं नारी निराला की निरूपमा ने पद्मा पर पृ० प्रकार प्रभावती प्रस्तुत प्रेम के प्रेमचन्द प्रेरित बांधव-भाव भाव भावना महाभारत मानव मानव-प्रेम मानवीय मूल में में भी यमुना यह यहां यौनाश्रित रचना रचनाओं रचनाकार रहा है रही रहे रूप में वर्ग वस्तुतः वह वही वाले विकृतियों वे व्यक्त व्यापक संवेदना सकता सन् सभी समाज साहित्य में हिन्दी ही हुआ हुई है हुए है और है कि हैं हो होता है होती होने