Diṅnāgapraṇītaṃ Nyāyapraveśakasūtram

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Kendrīya Ucca Tibbatī Śikṣā Saṃsthāna, 1999 - Buddhist logic - 289 pages
Classical work with commentaries and translation on Buddhist logic.

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अतः अथ अनुमान अपने अर्थ है अर्थात् आचार्य हरिभद्रसूरि ने आत्मा आदि इति इत्यर्थः इत्यादि इन इस प्रकार इसका इह उच्यते उत्तर उदाहरण उस उसका उसके उसी एक एव ऐसा और कर करता कहते हैं कहा गया कहा जाता का प्रयोग किं किन्तु किया गया है किया जाता है किया है की के कारण के द्वारा केवल को क्योंकि ग्रन्थ जाती जैन जैसे जो ज्ञान तत्र तथा तब तस्य तीन तु दर्शन दृष्टान्त दो दोनों धर्म धर्मकीर्ति धर्मी नहीं नाम नित्य निरूपण ने न्यायप्रवेश पं० पक्ष पदार्थ पर पृ० प्रकार के प्रति प्रत्यक्ष प्रमाण बौद्ध भवति भी में यत्र यथा यदि यह यहाँ पर या रूप वह वा वा० विपक्ष विरुद्ध विषय वृत्ति व्याख्या श्री सन् सपक्ष सभी समान संस्कृत साधन साध्य सिद्धि सूत्र से स्वरूप हि ही हुआ हेतु हेत्वाभास हैं है और है कि हो होता है होते हैं होने के

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