Padamāvata aura Kanhāvata kī bhāshā, eka tulanātmaka adhyayanaSūrya Bhāratī Prakāśana, 1993 - 341 pages Comparative study of the linguistics in Padmāvata, and Kanhāvata, Awadhi medieval poem on the mystic aspect of the worship of Krishna by Malik Mohammad Jayasi, 16th century Awadhi poet. |
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१६ ५० अथवा अधिक अन्य अर्थ अवधी आदि इन दोनों इलाहाबाद इस प्रकार के ई० उपर्युक्त उपलब्ध होते हैं उल्लेख एक एकवचन क० कंस कर करने कवि कवि ने कहा का प्रयोग काव्य किन्तु किया जा सकता किया है की की दृष्टि से की भाषा कुछ के अन्तर्गत के योग से के लिए के साथ केवल कै को कोई गया है जा सकता है जायसी जो डॉ० तथा कन्हावत दोनों ही कृतियों द्वारा प० पदमावत प्रत्यय प्रत्ययों प्रयोगों प्रस्तुत बहुवचन भाषा भाषा के भिन्न भी में इस में उपलब्ध में प्रयुक्त में प्राप्त यथा यह योग रचना रूप में रूपों के रूपों में वाले विशेषण शब्द शब्दावली शब्दों के सं० संज्ञा संस्कृत सन् सब समान रूप से सम्बन्ध सर्वनाम सो स्थलों पर ही कृतियों में हुआ है हुई हुए है और है कि हो होइ होता है होने