Rasaprakāsha sudhākar

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Caukhambhā Oriyaṇṭāliyā, 1983 - Alchemy - 293 pages
Verse work on therapeutic and alchemical use of mercury, cooper, etc., according to ayurvedic system of Indic medicine.

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१ भाग ३ रत्ती अग्नि अतः अनुपान अन्य अब अभ्रक अर्थात् आचार्य आयुर्वेद इन इस इसके इसे उक्त उस एक एवं ऐसा औषधि कज्जली करता है करने से करें और कहते हैं कहा का कांस्य किया की भावना देकर कृत्वा के गुण के बाद के लक्षण के लिए के साथ को खरल में गोबर गोला गोली ग्राम घण्टे तक चाहिए चूर्ण जैसा जो तथा ताम्र तु तो तोला दिन दें दो दोनों द्रव्यों नष्ट हो नहीं निकाल ने पारद पारद का पुट पुनः प्रकार प्रत्येक बनाकर बनावें बार भस्म भी भेद मधु मर्दन कर मर्दन करें मिट्टी मिलाकर मुख में रख यन्त्र यह या रख कर रख लें रखें रजत रस रोग लें लें और लेकर लोहा वर्ण विधि वै व्याख्या शुद्ध गन्धक शुद्ध पारद शोधन सत्त्व सभी सुखा सेवन सोमदेव स्वरस स्वर्ण स्वाङ्गशीत होने पर हि ही हीरा हैं हो जाता है होता है

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