सुकून की तलाश

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Vāṇī Prakāśana, 1998 - Hindi poetry - 112 pages

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अगर अपना अपनी अपने अब आई आए आओ आप आया इक इतना इन्सान इस ईद ईरान उर्दू उस उसकी उसके उसी एक और कर कहाँ कहीं कहें का काम कि किया किसी की कुछ के को कोई कौन क्या गई गए ग़ज़ल गया गुम हुए चुका जब जहाँ जा ज़िन्दगी जिसे जैसे जो तक तुम तुम्हारी तू तेरी तो तो क्योंकर हो था थी थे दर्द दिल देखिए नहीं नाम ने पड़ा है पर पार पे प्रक प्रकाश प्रकाशन वाणी प्रकाशन वा शन प्रकाशन वाणी प्रकाशन फिर बहुत बातें भी मगर मुझको मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह या याद ये रहा रहे लिए लें वह वही वा शन वाणी वाणी प्रकाश प्रकाशन वाणी प्रकाशन वाणी वो शन वाणी प्रकाशन शमशेर शमशेरजी शेर श्री सब साँस साथ सी से हम हमारी हमारे ही हुआ हुई हूँ मैं है है आज है कि है क्यों हैं होता है

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