Vaiyakaran Mahabhashya--Bhagavatpatanjali Virchit NavahanvikMotilal Banarsidass Publishe, 2002 - 741 pages |
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अकार अच् अथवा अर्थ अर्थात् आदि आदेश इक् इति इन इस प्रकार इस लिये इस सूत्र उस उसके एक ऐसा और करना करने कहा का निषेध का लोप कारण कार्य किं किया है की के लिये के साथ के स्थान में केवल कैसे को कोई क्या क्योंकि गया गुण ग्रहण चाहिये जाने जायगी जैसे जो तर्हि तो दीर्घ दो दोनों धातु न हो न होगा न होने से नहीं नहीं है नहीं होता निमित्त परिभाषा परे रहते पहले पाणिनि पूर्व प्रगृह्यसंज्ञा प्रत्यय प्रयोग प्रयोजन प्राप्त होता है प्राप्नोति फिर बन भवति मान कर मानने में भी यदि यह यहां या ये रूप वह वहां वा वाला वाले विकल्प विभाषा वृद्धि वेद व्याकरण शब्द का शब्दों संज्ञा समास सूत्र में सूत्र से से परे स्थानिवद्भाव स्यात् हि ही हुए हैं है कि है वह हो कर हो जाता है हो जायगा होगा होगी होता है होती होने पर