Vaiyākaraṇa bhuṣaṇasāra kā dhātvartha prakaraṇa

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Mudraka Yūnika Praisa, 1969 - Sanskrit language - 205 pages
Study of meanings of Sanskrit word roots; a portion of the Vaiyākaraṇa-bhuṣaṇasāra, an exposition of Bhattoji Dikshit's verse work Vaiyākaraṇasiddhạ̄ntakārikā.

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अतः अर्थ में अर्थात् आदि में इति इत्यादि इन इस प्रकार इसलिए उक्त उपपन्न उस एक एवं ऐसा कथन कर करते हैं करोति कर्ता कर्तृ कर्म कहा गया का अन्वय का बोध का ही कारिका किन्तु किया गया है की की आपत्ति के लिए केवल को क्योंकि क्रिया में घट जब जाता है जैसे जो ज्ञान तात्पर्य तिङ् तो देवदत्त दोनों दोष द्वारा धातु का अर्थ धात्वर्थ नहीं है नहीं होता ने पचति पच् पद पर भी पाक पाणिनि प्रख्यात प्रतीति प्रत्यय प्रधान प्रभाव प्रयोग फल बोध बोध होता है भवति भाव भावना मान मानना मानने पर मीमांसकों में भी यत्न यदि यह है कि यहां या रहने रूप लक्षण वह वा विवरण विशेषरण विष्णु व्यापार व्यापार का शक्ति श्रादि संख्या सकता सम्बन्ध साधुत्व सिद्ध सूत्र से स्पष्ट ही ही है हुआ है और हैं हो जाता है होगा होगी होता है होती होते होने के कारण होने पर

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