श्रीमद्-वाल्मीकि-रामायणम् हिन्दी अनुवाद सहित: अरण्य-किष्किन्धाकाण्डात्मकम्Srī Rāmalāla Kapūra Trasṭa, 1962 |
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१० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ अत्यन्त अपनी अपने अरण्यकाण्ड आदि आप इन इन्द्र इस प्रकार उन उस एक ऐसा और कर करना करने वाले का कारण कि किया की के द्वारा के लिये के समान के साथ को गये जटायु जानकी जाने जिस जैसे जो तं तथा तु तुम ते तो था दिया देख देखकर दोनों नहीं नाम ने पर पर्वत पश्चात् पूर्वक प्रकार के प्राप्त बाली बोले भाई भी मुझे मे में मेरी मेरे मैं यदि यह ये रहा है रही रहे हैं राक्षस राक्षसों राजा राम रामचन्द्र के रावण लक्ष्मण लोग वन में वनवासी वह वाला वाली विशाल वीर वे शूर्पणखा समय सम्पूर्ण सर्ग सर्गः सह सीता सीता को सुग्रीव सूर्य से हि ही हुआ हुई हुए हूँ हे है हैं हो गया होने