Śrīrāmavilāpaḥ: khaṇḍakāvyam : Hindībhāṣānuvādasahitaḥ |
Common terms and phrases
अत्यन्त अन्वेषण अपना अपनी अपने अपहृत अयोध्या आज आदि आप इन इव इस प्रकार इसके उत्पन्न उन उन्हें उस उसके ऋष्यमूक एवं एष और कमल कर रहा है कर रहे करता है करते हुए करते हैं करने का काम कामदेव कार्य किन्तु किया की की तरह के तुल्य के लिए के साथ को को प्राप्त खिले हुए खूब खेद गया है गये चारों ओर जनकनन्दिनी जल जैसे जो तथा तुम तो देखकर देखो देवी द्वारा धारण नहीं ने पक्षियों पम्पा परम पर्वत पवन पश्य पुष्पों प्रिय बहुत भरत भाई भागीरथी भी मन मम मां मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं यदि यह यहाँ पर ये रमणीय रही रहे हैं राक्षस राम रूप वत्स लक्ष्मण वन में वसन्त वसन्त ऋतु वह विविध विषय वृक्ष वृक्षों वे वैसे ही शोभा सब समय सा सामने सीता सुगन्ध सुन्दर से स्थित हम ही हुआ हुई हूँ हे हो होकर होगा होता है