Nayī kavitā kī cetanā

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Sanmārga Prakāśana, 1972 - Hindi poetry - 90 pages

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9
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24

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अज्ञेय अधिक अनुभव अपनी अपने अभिव्यक्ति अर्थ आत्मा आदि आधुनिक इन इस इसलिए इसी उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसे एक कम कर करके करता है करती करने कवि कवि ने कविता में कवियों कहीं का का यह काव्य किया है किसी की कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्योंकि गई है गए गया है चेतना जब जा सकता है जाता है जाती जीवन जेन् जो तक तरह तो था थे दिया दृष्टि देता नयी कविता नये नहीं है ने पर पृष्ठ प्रकार प्रभाव फिर बहुत बात भारत भाषा भी मनुष्य मानव मानवीय मुक्तिबोध में मैं यह या युग ये रहा है रही रहे हैं रूप लोग वह वाले विकास विज्ञान वे वैज्ञानिक शब्द सकती सकते सभी साहित्य से स्थान हम ही हुआ हुई हुए है और है कि है परन्तु हैं हो सकता है होकर होता है होती होते होने Buddhism

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