Bhaṭṭa-nāṭakāvalīNagari pracarini Sabha, 1948 - 126 pages |
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अच्छा अपना अपने अब अभी अरे अर्जुन आज आप इतना इस इसे उत्तर उत्तरा उस उसके उसे एक ऐसा ऐसी ऐसे ओर और कभी कर करते करने करें करो कहाँ कहीं का का प्रवेश काम किया किसी की कुछ कुमार के कैसे को कोई कौन क्या क्यों क्रोध गई गए गया गये घर जब जा जाता है जाते जान जाने जाय जी जो तक तब तुम तुमने तुम्हारे तुम्हें तू तो था थे दिन दिया दुर्योधन दे देख दो दोनों नहीं है नाउन नाम ने पर पुरुष फिर बहुत बात ब्राह्मण भर भला भी भीष्म मन महाराज माँ मालती में मैं मोहिनी यह यहाँ युद्ध युधिष्ठिर ये रसिक रहा है रही रहे राजा राज्य लिये ले लोग लोगों वह वही विराट वृहन्नला सब समय समान साथ से सो हम हमने हमारा हमारी हमारे हमें हा हाँ हाथ हाय ही हुआ हुई हुए हूँ है कि हैं हो होगा होता