Ṭhaṇḍa lohā tathā anya kavitāem̐

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Bhāratīya Jñānapīṭha Prakāśana, 1970 - Hindi poetry - 90 pages

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Contents

Section 1
23
Section 2
86
Section 3

Common terms and phrases

अँधियारे अगर अनजान अपनी अपने अब अभी अमृत आज आत्मा इन इस उदास उन उस एक और क़दम कभी कर करता करो कवि कविता कहीं का कि कितनी किस किसी की कुछ के कैसे कोई कौन क्या गंगा गया गयी गये गोद में छाया जब जा जाता है जाती जाते जाने जिन ज़िन्दगी जिस जीवन जो ज्यों ठंडा लोहा तक तुम को तुम ने तुम्हारी तो था थी दर्द दिया दुनिया दूर दे दो नये नहीं ने पर पलकों पागल पाती पास पुरवाई प्यार प्यास प्राण फागुन फिर फूल फूलों बन बहुत बाँहों बात बादल भी भूल मगर मन मर मुझ को मुझे में मेघदूत मेरा मेरी मेरे मैं मैं ने मौत यह या ये रहा है रही रहे लेकिन लोहा वह विश्वास वे सत्य सपने सपनों सब साँसें साथ सी से स्वर्ग हम हर ही हुआ हुई हुए हूँ हृदय हैं हो होगा होठ होठों

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