Śrī Jina Tāraṇa Triveṇī

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Bhāratīya Jñānapīṭha, 2005 - Jainism - 134 pages
On Jaina spiritual life and doctrines; three Sanskrit texts Paṇḍitapūjā,Mālārohaṇa and Kamalabattīsī with English & Hindi translation and summary of Chadmasthavāṇī in Hindi.

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13
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15
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23
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अध्याय अनन्त अनुभव अन्मोय अन्वयार्थ अपनी अपने अर्थ आत्मा के आनन्द इस उत्पन्न उत्पन्न हुआ उदय उन्होंने उस एक एवं और कमल कर करता करते हुए करने करो कर्म कहते हैं कहा का किया किया गया किया है की को क्या गया है गुण ग्रन्थ छद्मस्थवाणी जय जिन जी जीव जैन जो ज्ञान तत्त्व तथा तब तारण तरण तीन तो दृष्टि देखा देव द्वारा ध्यान ध्रुव नहीं नाम निज ने न्यान पर परम पूजा प्रकार प्रगट प्रवेश प्राप्त बारह भाव भाषा भी मत ममल महोत्सव माला मुक्ति में यह या ये रमण रहा है रूप वर्णन वह वही वाणी वे शब्द शाह शुद्ध शुद्धात्मा शून्य श्री सब समय सम्यक्त्व सम्यग्दर्शन साथ सूत्र में से स्वभाव स्वभाव में स्वयं स्वरूप स्वल्प स्वामी स्वामीजी ही हुए हूँ है और है कि हो जाता है होता है elements karmas knowledge nature persons point pure soul salvation Shri three Translation

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