Hindī vyaṅgya vidhā: śāstra aura itihāsa

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Cintana Prakāśana, 1990 - Satire, Hindi - 292 pages

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अत अनेक अन्य अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस उसके उसे एक एवं और कथ्य कर करता है करते हुए करते हैं करना कहा कहानी किया गया है किया है किसी कुछ के कारण के रूप में के लिए के सन्दर्भ में के समान को लेकर कोई गई जा जीवन जैसे जो डॉ० डॉ० बालेन्दु शेखर तक तथा तो था दिखाई दिया देश द्वारा नरेन्द्र कोहली नहीं निबन्ध ने पर पाठकों पृ० प्रभाव प्रयोग प्रस्तुत प्रहार प्राप्त बहुत बालेन्दु शेखर तिवारी भारत भी यह या युग रचना रचनाएँ रचनाओं में रवीन्द्रनाथ त्यागी रहा है रही रहे राजनीति लक्ष्य लघु लिखा है लेकिन वह वाले विविध विषयों वे व्यंग्य का व्यंग्य विधा के व्यंग्य साहित्य व्यंग्यकार शरद शरद जोशी शैली श्रीलाल शुक्ल सभी समाज सामाजिक साहित्य की साहित्य में से स्पष्ट हम हरिशंकर परसाई हिन्दी व्यंग्य हिन्दी साहित्य ही है कि हैं हो होकर होता है होती होते होने के

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