Maśāla: UpanyāsaNilābha Prakāśana, 1957 - 240 pages |
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... लेकिन कुछ दिखायी न पड़ा । तब उसने उठने की चेष्टा की । लेकिन वह उठ न सका । हाथों पर ज़रा भी जोर देना असम्भव मालूम पड़ा । पैरों में ...
... लेकिन कुछ दिखायी न पड़ा । तब उसने उठने की चेष्टा की । लेकिन वह उठ न सका । हाथों पर ज़रा भी जोर देना असम्भव मालूम पड़ा । पैरों में ...
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... लेकिन आज वह उस समय की तरह भोला , नासमझ नादान न था कि किसी भी सहारे को लपक कर पकड़ लेता । आज़ाद हिन्द फौज ने जहाँ उसमें एक आत्म सम्मान ...
... लेकिन आज वह उस समय की तरह भोला , नासमझ नादान न था कि किसी भी सहारे को लपक कर पकड़ लेता । आज़ाद हिन्द फौज ने जहाँ उसमें एक आत्म सम्मान ...
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... लेकिन आज तो वहाँ तक पहुँचना भी मुश्किल है । " " क्यों , मैं जाऊँ ? ” नरेन धीमे से बोला । “ हाँ , तुम नये हो । शायद तुमको कोई न पहचाने | लेकिन ...
... लेकिन आज तो वहाँ तक पहुँचना भी मुश्किल है । " " क्यों , मैं जाऊँ ? ” नरेन धीमे से बोला । “ हाँ , तुम नये हो । शायद तुमको कोई न पहचाने | लेकिन ...
Common terms and phrases
अपना अपनी अपने अब आँखें आँखों आज आदमी आप इस उठा उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसे और करता करने कह कहा कहाँ का कानपुर काम कि किया किसी की ओर की तरह कुछ के पास के लिए को कोई क्या क्यों गयी गये घर जब जा जाने जिन्दगी जैसे जो तक तुम तो थी थीं दिन दिया दुनिया दे देख देखा देश दो नरेन नरेन ने नहीं ने ने कहा पड़ा पर पानी फिर बहुत बात बातें बाद बार बोला बोली भर भाभी भी मंजूर मजदूर मजदूरों मदीना माँ मालूम मिल मुँह मुझे में मैं यह यहाँ या याद रह रहा था रहा है रही थी रहे थे रूस लगा लगी लिया ले लेकिन वक्त वह वहाँ वे शकूर श्राज सकीना सकीना की सब समझ साथ सामने साहब सिर से हम हर हाथ ही हुआ हुई हुए है हैं हो गया होता