Samakālīna jīvana sandarbha aura PremacandaContributed articles on the life and works of Premchand, 1881-1936, Hindi litterateur. |
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अधिक अपना अपनी अपने आज इन इस इसलिए इसी उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उपन्यास उर्दू उस उसका उसकी उसके उसे एक ओर कर करता है करते हैं करने कहा कहानियों कहानी का कारण कि प्रेमचन्द किया किसान किसी कुछ के रूप में के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्योंकि गया गये गांधीवाद गाँव गोदान गोबर जब जा जाता है जाती जीवन जैसे जो तक तरह तो था थी थे दिया देता दोनों नहीं है ने पर परम्परा पहले पाकिस्तान प्रेम प्रेमचन्द की बल्कि बहुत बात बाद भारत भारतीय भी महात्मा गांधी में प्रेमचन्द में भी मैं यथार्थ यह यहाँ या युग रचना रहा है रही रहे लेकिन लेखक लेखकों लेखन लोग वह वाले वे व्यवस्था शोषण संघर्ष सकता है सकते समय समाज सामने सामाजिक साहित्य में सूरदास से हम हमारे हिन्दी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होगा होता है होती