अयोध्या तथा अन्य कविताएँ |
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अपना अपनी अपने अयोध्या अयोध्या में आँचल आज आता आती है आदमी आसान इतिहास इस ईश्वर उनके उसकी कई कबीर कभी कर करते करना कविता कहीं का का एक कितना किसी की कुछ कुछ भी के लिए के साथ को कोई क्या क्यों खाली घर घूँघट चिड़िया जगह जब जाता है जाते हैं जीवन जो तक तब तुम तो था दिन दिया दुःख देते हैं दो नहीं होता ने पर पानी पापा पास पिता पुराण पूरा पूर्णिमा प्रेम फिर बहुत बात बातें बाद बार बावजूद भर भी मगर मथुरा मुश्किल में मेरी मेरे मैं यह यहाँ या ये रंग रहती रहा रहे रात राम लोकतंत्र वह वहाँ वाले वृंदावन वे शब्द शहर शोर सकते सत्य सपने सब सभी समय समाज साध्वियाँ सामने सारे सिर्फ सीता से स्वयं स्वर हम हर ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो हों होता है होती होते होना होने का