Bhairavānandanāṭakam: Manika Kavi's Bhairavananda natakam

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Pīyūṣa Prakāśana, 1972 - Sanskrit drama - 60 pages
Extant portion of a play; with a few variant readings.

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Contents

Section 1
24
Section 2
27
Section 3
31

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अनेक अपनी अपने अपि इति निष्क्रान्तः इन इन्दुमती इलाहाबाद इस इसी उत्थाय उनके उपसृत्य उभौ उसके एक एवं कथं कर करता है करती करते हैं करने करोमि कर्णावती कवि कष्टं का किं किन्तु किया जा की कुमारः के प्रति को क्रमादित्य गच्छामि चतुरिका चारु चारुदत्त जयस्थिति जाता है डा० ततः प्रविशति तथा तथाहि तालजंघ ददाति दृष्ट्वा देवी देहि धर्मादित्य नाटक का नाटयति नामक नारद ने नेपथ्ये नेपाल नेपाल के पर परिक्रम्य पश्य पाठ पुत्र प्रज्ज प्रज्जउत्त प्रदान प्रविश्य प्रवेश प्रस्तुत प्राप्त प्रिये प्रेयसी भगवन् भवतु भी भैरवानन्द भोः भ्रूण मंत्री मणिक मदनावती मदनिका मम मया मल्ल महाराज मां मालिनी मिथिला मे में यदि यह युवराज राजकुमार राजन् राजा रे वत्स वध्वा वह विदूषकः शिव श्रये श्रुत्वा संस्कृत सखी सर्व सर्वे सहर्षं सहि सा सात्र साथ साधकेन्द्र साहित्य सिद्धि सुन्दरी से हा हि ही हुआ था है और है कि हो होता है

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