Rasatarangini Of SadanandsharmavirchitMotilal Banarsidass Publishe |
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अच्छी तरह अतः अथ अथवा अधिक अब इस अभ्रक आदि इति इन इस प्रकार इसके इसको इसमें इसे उक्त उत्तम उसमें उसे ऊपर एक एकत्र कर करके करता है करना चाहिये कहते हैं कहा जाता का कि की की भस्म कुछ के लिए के लिये के साथ को को एक को नष्ट खरल में खलु गन्धक गुणाः चाहिए चूर्ण जब जल जाती जाते हैं जाय तो टी तक ततः तथा ताम्र तीन तु तोला दिन दूध दूर दें देने दो द्वारा नहीं नाम पर पारद पुट प्रयोग फिर बना बार भस्म भस्म को भा भा.टी भाग भी मर्दन मारण मिला मिलाकर मुख में यदि यह या रख रखकर रत्ती रस रूप रोग रोगों लें लेकर लोह वक्तव्य वह वा विधि से शरीर में शान्त शीघ्र ही शीशी शुद्ध शोधन सब समभाग सात सेवन करने से स्वरस स्वर्ण ही हुई हुए है और हो जाता है होता है होती