श्रीमद्-वाल्मीकि-रामायणम् हिन्दी अनुवाद सहित: युद्ध-काण्डम्Srī Rāmalāla Kapūra Trasṭa Gurūbāzār, 1962 |
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१० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ २० २१ २२ २३ २४ २६ ३६ अग्नि अपने इन्द्र इन्द्रजित् इस प्रकार उत्तम उन उस एक ऐसा ओर और कर करके करते कहा का कार्य किया की कुम्भकर्ण के द्वारा के लिए के समान के साथ को क्रुद्ध गये जाने जैसे जो तथा तु तुम ते था थे दिया दृष्ट्वा देख देखकर दोनों धनुष नहीं नाम नामक ने पर पराक्रम पर्वत पुत्र पृथिवी प्राप्त बलवान् बाण बाणों से भयङ्कर भी में मेरे मैं यह युद्ध में युद्धकाण्डे रण में रहा रहे राक्षस राक्षसों के राजा राम राम के रावण रावण के लक्ष्मण लगा लगे लङ्का वचन वह वानर वानरों को वाला वाले विभीषण विशाल वीर वे श्रेष्ठ सब सर्ग सर्गः सहित सीता सुग्रीव सूर्य से युक्त सेना हनुमान् ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो गया होकर होने