Kavi-śrī mālā, Volume 9

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Rāshtrabhāshā Pracāra Samiti, 1962 - Hindi poetry

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अपनी अपने अब आई आज आणि आदि आया आरती इस इसलिए उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसकी उसके उसमें उसी उसे एक एवं ओर कर करते हैं कवि कविता का कां कारण काव्य किन्तु किया किया है की कुछ के को कोई क्या क्यों गई गए गया है जब जाए जो तक तथा तब तरह ती तुम तुम्हारे ते तेरे तो त्या था थी थे दिखाई दिया दे दो नहीं है ना नाटक ने पर परिचय पुकार प्रकार प्रस्तुत बना बहुत बाद भी मराठी मराठी भाषा महाराष्ट्र माँ मी मुझे मुठा में मेरा मेरी मेरे मैं यशवन्तजीने यह या ये रहा है रही रहे रूपमें लगा लिए लेकिन वर्धा वह वे शिवाजी श्री सन् सब समय साथ साहित्य सुन्दर से हम हमारे हमें हा ही नहीं हुआ हुई हुए हूँ हे है और है कि हैं हो होता है

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