Ātī hai jaise mr̥tyuVāgdevī Prakāśana, 1990 - 80 pages |
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... याद को ? विधाता ने मुझ से पूछा । मैं तब से तरद्दुद में हूँ सोचता हुआ - तुम ने क्या चाहा होता ? या कि मुँह बिचका कर हतप्रभ कर दिया होता ...
... याद को ? विधाता ने मुझ से पूछा । मैं तब से तरद्दुद में हूँ सोचता हुआ - तुम ने क्या चाहा होता ? या कि मुँह बिचका कर हतप्रभ कर दिया होता ...
Page 33
... याद ताम्रवर्णीये सुइयाँ पेड़ों पर ही हरी टाँच होती थीं तब की । 1987 1987 तुम आयी हो तुम आयी हो तपती दुपहर में आती है जैसे मृत्यु 33.
... याद ताम्रवर्णीये सुइयाँ पेड़ों पर ही हरी टाँच होती थीं तब की । 1987 1987 तुम आयी हो तुम आयी हो तपती दुपहर में आती है जैसे मृत्यु 33.
Page 52
... बीच में खिला था जो हरा थोड़ी देर उस की याद मेरी आत्मा की आशिष है तुम को । रूख रूँख पहले भी नहीं था फिर नहीं है : 52 आती है जैसे मृत्यु.
... बीच में खिला था जो हरा थोड़ी देर उस की याद मेरी आत्मा की आशिष है तुम को । रूख रूँख पहले भी नहीं था फिर नहीं है : 52 आती है जैसे मृत्यु.
Common terms and phrases
अक्सर अचानक अन्दर अपनी अपने में अब भी है अभी आँखों आँगन आती है जैसे आत्मा आने आयीं इस उगी हो उतर गयी है उस को उसे ऊँची एक और कभी करती हुई कहीं का कि कितना किसी की कुछ के के बीच के लिए क्या खुद को खुल कर गये गलियाँ गो गोबर घनी घर चौक छतें जब जल जाता है जाती जाते हैं जानती जाने जो झील तंग तक तब भी तुम तुम्हारे तुम्हें तो था दया दुनिया दुपहर देती देह दो नदी नहीं कोई पर पल फिर बन्द बारिश बाहर बीकानेर बेघर हुआ जाता बैठी भर मुझ मुझे मेरा प्यार मेरी मेरे मैं मैंने यदि यह या याद रहा रही है रहूँगा रेत लगी लेकिन लौट वह शाम सब सभी समतल नहीं है सा सारी सी सूनापन सूरज से हँसी हर हरा हवा ही हुआ हुई हुए हूँ है जैसे मृत्यु है मेरा होता होती होने