Kavi-śrī mālā, Kaśmīrī

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Rāshṭrabhāshā Pracāra Samiti, 1962 - Kashmiri literature - 99 pages
Poems, with Hindi paraphrase; includes exhaustive introduction about the development of Kashmiri literature.

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१० ११ अतः अपनी अपने अब आदि आप आपका आपकी आपके इन इनके इस उनके उन्होंने उर्दू उस उसके उसे एक एवं ओर और कई कर करते करना करो कवि कविता कश्मीरी कश्मीरी भाषा कश्मीरी साहित्य कश्मीरीके कहीं का काफी कारण काव्य किया है की कुछ कृष्ण के को कोई क्या क्योंकि गई गए गया छु जब जय जय जा जाते जो तँ तक तथा तस तु तुम तो था थी थीं थे दिया दूर दो द्वारा नहीं नाम नामक नाव नॅ पण्डित पर परन्तु परमात्मा परमानन्द परमानन्दजी प्राप्त फारसी बहुत भगवान भाषा भी मन मा मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं यदि यह या युस ये रही रहे रादा राधा रामायण लिखा लो वर्धा वह वे शिव श्री संस्कृत सन् सभी समय साथ से स्वयं ही हुआ हुए हूँ हे है और हैं हो होगा होता है

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