Gaharāīyāṃ

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Sanmārga Prakāśana, 1970 - 228 pages

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5
Section 2
11
Section 3
18

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अतुल ने कहा अतुल बाबू अपना अपनी अपने अब अवस्था आई आज आदमी आप आया इतना इस उस उसका उसकी उसके उसने उसी समय उसे एक ऐसा और कर करता कल्याणी कहते का किन्तु किया किसी की ओर की बात कुछ के को कोई क्या क्यों गंगा गया है गयी गये घर जब जा जाता जाने जिस जी जीवन जैसे जो तभी तुम तुम्हारे तू तो था कि थी थे दिन दिया दे देख देखकर देखा धरती ने धरती मां नगर नर्वदा ने नहीं नारी पद्मा पर परन्तु पास पिता प्रोफेसर फिर बनकर बना बाबू बोला बोली भगवान भला भाव से भी भी नहीं मन में माँ मुझे में मेरे मैं मैंने यह यहां यही रहा था रही रामनाथ रुपया लगा लड़की लाला लाला दौलतराम लिए लिया वह वहां विष्णु वे व्यक्ति सकता सभी समाज से हरीश हां ही हुआ हुई हुए हूं है कि हैं हो गया

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