Samakālīna jīvana sandarbha aura PremacandaContributed articles on the life and works of Premchand, 1881-1936, Hindi litterateur. |
Contents
१० जैनेन्द्र कुमार | 9 |
१२० डॉ० राममूर्ति त्रिपाठी | 11 |
प्रासंगिकता का प्रश्न | 28 |
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Common terms and phrases
अधिक अपना अपनी अपने आज इन इस इसलिए इसी उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उपन्यास उर्दू उस उसका उसकी उसके उसे एक ऐसा ओर कर करता है करते हैं करने कहा कहानी का कारण कि प्रेमचन्द किया किसान किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्योंकि गया गये गांधी गांधीवाद गाँव गोदान गोबर चेतना जब जा जाता है जाती जीवन जैसे जो तक तरह तो था थी थे दिया दोनों नहीं है ने पर परम्परा पहले पाकिस्तान प्रेमचन्द की बल्कि बहुत बात बाद भारत भारतीय भी महात्मा गांधी मैं यथार्थ यदि यह यहाँ या युग रचना रहा है रही रहे लेकिन लेखक लेखकों लेखन लोग लोगों वह वाले वे व्यवस्था शोषण संघर्ष सकता है सकते समय समाज सामने सामाजिक साहित्य में सूरदास से हम हमारे हिन्दी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होगा होता है होती