कड़ियाँ और अन्य कहानियाँ |
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अपनी अपने अब अभी आगे आया इतना इस उन्हें उस का उस की उस के उसने उसी उसे एक और और उस कभी कमला करता करने कह कहा कहीं काम कि किन्तु किया किसी की ओर की तरह कुछ के लिए को कोई क्या क्यों गयी गये घर चला जब जा जाता है जाती जाने जिस जीवन जेल जो तक तब तुम तुम्हें तो थी थे दिन दिया दे देख कर देखा देर दो नहीं है ने पर पहले पास पूछा प्रभाकर प्रेम फिर बहुत बात बार बाहर बोला भी भी नहीं मन मानो मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह या याद रजनी रतन रह रहा था रहा है रही रहे लगा लगी लिया ले लेकिन वह वहाँ वही वे शायद शेखर संसार सकता सत्य सब समय सूरदास से हम हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है कि हैं हो कर हो गया होगा होता होती