Hindi Alochana Ka Alochanatmak Itihas

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Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, Jan 12, 2023 - Art - 818 pages
‘हिन्दी आलोचना का आलोचनात्मक इतिहास’ हिन्दी आलोचना का इतिहास है, लेकिन ‘आलोचनात्मक’। इसमें लेखक ने प्रचलित आलोचना की कुछ ऐसी विसंगतियों को भी रेखांकित किया है, जिनकी तरफ आमतौर पर न रचनाकारों का ध्यान जाता है, न आलोचकों का। उदाहरण के लिए हिन्दी साहित्य के आलोचना-वृत्त से उर्दू साहित्य का बाहर रह जाना; जिसके चलते उर्दू अलग होते-होते सिर्फ एक धर्म से जुड़ी भाषा हो गई और उसका अत्यन्त समृद्ध साहित्य हिन्दुस्तानी मानस के बृहत काव्यबोध से अलग हो गया। कहने की जरूरत नहीं कि आज इसके सामाजिक और राजनीतिक दुष्परिणाम हमारे सामने एक बड़े खतरे की शक्ल में खड़े हैं। सुबुद्ध लेखक ने इस पूरी प्रक्रिया के ऐतिहासिक पक्ष का विवेचन करते हुए यहाँ उर्दू-साहित्य आलोचना को भी अपने इतिहास में जगह दी है। आधुनिक गद्य साहित्य के साथ ही आलोचना का जन्म हुआ, इस धारणा को चुनौती देते हुए वे यहाँ संस्कृत साहित्य की व्यावहारिक आलोचना को भी आलोचना की सुदीर्घ परम्परा में शामिल करते हैं, और फिर सोपान-दर-सोपान आज तक आते हैं जहाँ मीडिया-समीक्षा भी आलोचना के एक स्वतंत्र आयाम के रूप में पर्याप्त विकसित हो चुकी है। कुल इक्कीस सोपानों में विभाजित इस आलोचना-इतिहास में लेखक ने अत्यन्त तार्किक ढंग से विधाओं, प्रवृत्तियों, विचारधाराओं, शैलियों आदि के आधार पर बाँटते हुए हिन्दी आलोचना का एक सम्पूर्ण अध्ययन सम्भव किया है। अपने प्रारूप में यह पुस्तक एक सन्दर्भ ग्रंथ भी है और आलोचना को एक नए परिप्रेक्ष्य में देखने का वैचारिक आह्वान भी।
 

Common terms and phrases

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About the author (2023)

डॉ. अमरनाथ का जन्म गोरखपुर जनपद (सम्प्रति महाराजगंज) के रामपुर बुजुर्ग नामक गाँव में सन् 1954 में हुआ। उनकी आरम्भिक शिक्षा गाँव के आस-पास के विद्यालयों में हुई। गोरखपुर विश्वविद्यालय से उन्होंने एम.ए. और पी-एच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और परवर्ती आलोचना’, ‘आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का काव्य-चिन्तन’,‘हिन्दी जाति’, ‘नारी का मुक्ति-संघर्ष’, ‘हिन्दी आलोचना का आलोचनात्मक इतिहास’। उन्होंने कई पुस्तकों का सम्पादन भी किया है जिनमें ‘समकालीन शोध के आयाम’, ‘हिन्दी का भूमंडलीकरण’, ‘हिन्दी भाषा का समाजशास्त्र’, ‘सदी के अन्त में हिन्दी’ और ‘बाँसगाँव की विभूतियाँ’ शामिल हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर तथा अध्यक्ष-पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद वे स्वतंत्र लेखन तथा सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं। ई–मेल : amarnath.cu@gmail.com - यह पाठ इस शीर्षक के अनुपलब्ध प्रिंट या संस्करण को संदर्भित करता है.

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