Kasika: PanĐiniyasĐtĐadhyayisutravrÆttihĐTārā Priṇṭiṅga Varksa, 1989 - Sanskrit language Commentary, with supercommentaries, on AsĐtĐadhyayi by PanĐini, ancient aphoristic work on Sanskrit grammar; includes text. |
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अच् अतः अत्र अथ अनुवृत्ति होती है अष्टाध्यायी अस्ति अस्मिन् अस्य आदि आदेश इति इत्यत्र इत्यर्थः इत्याह इन इनमें इनि इस अर्थ में इसका क्या फल इसकी इसमें इसी इह उदा० एक एव और कथं कन् कर करने पर का का लोप किं किम् किया की के बाद के लिए को क्या फल है क्योंकि गया ग्रहण चाहिए जो टच् तत् तत्र तथा तर्हि तस्य तु तेन तो दो दोनों न भवति नहीं है नहीं होता है न्यासः पदमञ्जरी परिभाषा परे पा० सू० पाणिनि पुनः प्रकार प्रत्यय होता है प्रत्ययो भवति प्राप्नोति बल भवतीति भावबोधिनी भी म० भा० यत् यथा यदि यस्य यह यह अर्थ है यहाँ ये रहने पर रूप लुक् वसति वह वा वा० वाला विग्रह वेद शब्द से शब्दों से षष्ठी संख्या संज्ञा सति समास सूत्र से स्यात् स्वार्थ हि ही हो हो जाता है होते हैं होने पर होने से