Sāñjha sakāre |
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... मैंने प्रकाशित किया है । साथ ही नगर के लिये रंगीन साहित्य और देहात के लिये ननदीं भौजइया का मैंने प्रकाशन किया है । मेरे पास लेखकों ...
... मैंने प्रकाशित किया है । साथ ही नगर के लिये रंगीन साहित्य और देहात के लिये ननदीं भौजइया का मैंने प्रकाशन किया है । मेरे पास लेखकों ...
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... मैंने कराया है और इतना कष्ट तथा अपमान आदि सहकर । 1 मैंने स्वास्थ्य की परवाह न करके साहित्य - साघना की है । मैं इसी बीच साढ़े तिरसठ ...
... मैंने कराया है और इतना कष्ट तथा अपमान आदि सहकर । 1 मैंने स्वास्थ्य की परवाह न करके साहित्य - साघना की है । मैं इसी बीच साढ़े तिरसठ ...
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... मैंने जान बूझ कर उस नीड़ के कण कण को ऐसा बना दिया जिसमें दुख के बरसात की रोज वर्षा होती है जिसमें जेठ की दुपहरी का सूरज रोज आग बरसाता ...
... मैंने जान बूझ कर उस नीड़ के कण कण को ऐसा बना दिया जिसमें दुख के बरसात की रोज वर्षा होती है जिसमें जेठ की दुपहरी का सूरज रोज आग बरसाता ...
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Common terms and phrases
अनुराधा अपनी अपने अब आज आप आया इस उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसने उसे ऊपर एक ऐसा ऐसी ओर और कभी कर करने कह कहा कहीं का काम किन्तु किया किसी की कुछ के लिए केशर को कोई क्या क्यों गई गए गयी गये घर घर में चंदर चन्दर चला जब जा जाता जाने जाय जी जीवन जो ठीक तक तरह तुम तुम्हारे तो था कि थी थे दिन दिया दी दे देख दो नहीं नहीं है ने ने कहा पत्र पर पास फिर बहुत बात बाबू जी बाहर भर भाभी भी भैया भोजन मन माँ मुझे में मेरी मेरे मैं मैंने यदि यह यहाँ रह रहा था रहा है रहे राधाचरण रुपया रुपये लगा लगी लिया ले लेकिन लोग लोगों वह वहाँ वे शांति शादी सकता सब समय साथ से सेठ जी हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है कि हैं हो गया होगा