Haṃsa cuge jyoṃ sīpa se motī: Solaha kahāniyām̐Bihāra Grantha Kuṭīra, 1963 - 184 pages |
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अपना अपनी अपने अब अभी अमरनाथ आगे आप इस प्रकार उनके उपन्यास उस उसका उसकी उसके उसने उसे एक और कई कर करता करते करना करने का काम किया किसी की की ओर कुछ के लिए के साथ को कोई क्या क्यों गई गए गजाधर गाँव घर चला चाय जब जा जाता जो तक तब तभी तुम तो था कि थी थे दिया दे देख देखा दो दोनों नवरंग नहीं नाम ने कहा पड़ा पता पर पास पूछा प्रेमचंदजी फिर बंसी बहादुर बहुत बात बातें बाद बाहर बीच बोला बोले भगत भगत सिंह भाई भी मगर मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ रहा था रहा है रही थी रहे थे रात रामलाल रामसागर रुपए रुपया रोज लगा लगे लिया ले लेकर लोग वह वाले वे सकता सामने साहित्यकार सुमित्रा से सो हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है कि हैं हो गया होगा होता