Uttarāńcala: bhāshā evaṃ sāhitya kā sandarbha

Front Cover
Iṇḍiyana Pabliśarsa Ḍisṭrībyūṭarsa, 2004 - Kumaoni literature - 478 pages
Study and analysis on language and literature of Uttaranchal; with special reference to Kumauni.

From inside the book

Contents

Section 1
2
Section 2
39
Section 3
55

28 other sections not shown

Common terms and phrases

अपनी अपने अर्थात् अल्मोड़ा आज आदि इन इस इसी उत्तरांचल उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसे एक एवं ओर और कई कर करता है करती करते करना करने कवि कविता कहावत कहावतों का काम काव्य किया किसी की कुछ कुमाउँनी कुमाऊँ के कारण के रूप में के लिए के साथ को कोई क्योंकि क्षेत्र गई गया है गाँधी जी घर चाहिए जब जा जाता है जाती जाने जीवन जैसे जो तक तथा तरह तो था थी थे दिया दृष्टि से देश दो द्वारा धान नहीं नहीं है नारी ने पर परंतु पुरुष पृ प्रकार प्रयोग बात बाद भारत भाषा भी माध्यम में भी यदि यह यहाँ या रहा है रही रहे रूप से वह वही वाली वाले विकास विशेष वे शब्द संस्कृति सकता है सकती समाज सामाजिक साहित्य से स्त्री स्थान हिंदी ही हुआ हुए है और है कि हैं हो होता है होती होने

Bibliographic information