Nāgārjuna, vicāra setu

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Śrī Prakāśana, 1996 - 326 pages
Contributed articles by several authors on the life and works of Nāgārjuna, b. 1911, Hindi and Maithili author.

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अपनी अपने अब आज आप इन इलाहाबाद इस उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उपन्यास उस उसके उसे एक एवं ऐसा कई कबीर कभी कर करता करते हैं करने कवि कविता कविता में कविताओं कहा कहीं का कालिदास काव्य किया किसी की तरह कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या गया गये चाहिए जब जा जाता है जी जीवन जैसे जो तक तो था थी थे दिन दिनों दिया देखा दो नहीं है नागार्जुन की नाम नामवर सिंह निराला ने पटना पर फिर बहुत बात बाबा बाबा नागार्जुन बाबा ने बार बिहार बीच भारत भाषा भी मन मुझे में मेरे मैं मैंने मैथिली यह यहाँ या ये रहा है रही रहे हैं लेकिन लोग लोगों वह वहाँ वाले वे वो व्यंग्य सकता सब समय समाज साहित्य सिंह से हम हमारे हिन्दी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हो होगा होता है होती होते होने

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