Thaka cale pāṃva: sāmājika upanyāsa

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Sanmārga Prakāśana, 1972 - Hindi fiction - 220 pages

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Contents

Section 1
5
Section 2
22
Section 3
31

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अच्छा अपना अपनी अपने अब अभी आई आज आदमी आया इतना इस उस उसका उसकी उसके उसने उसी समय उसे एक एकाएक ओर और औरत कर करता का काम कि किन्तु किया किसी की की बात कुछ के के पास के साथ को कोई क्या गई गयी गांव के घर जब जा जाने जीवन जैसे जो डाकू तब तभी तुम तुम्हारे तू तो तो वह था था कि थी थे दिन दिया दी दे देख देखा दो दोनों नहीं ने कहा पड़ी पर परन्तु पार्वती फिर बना बहू बात बाहर बैठी बोला भगवान भला भाव भी भैया मन में मां मुंह मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहां यही रहा था रही थी राकेश रात राधा रुपया लगा लड़की लाला लिया लूसिया ले लेकिन वह वहां सब सभी सिर सुजाता ने सुजाता बोली सुमेर सुमेर बोला से हां हाथ ही हुआ हुई हूं है हैं होगा

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