Hiranī, Biranī kā gīta aura aherī Rājā kā kissā |
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अपनी अपने अब अहेरी कुमार आकर आप इतना इन्द्र इस उनके उस उसके ए राम एक ऐसा और कर करने करो कहकर कहने लगे कहा कि का किया की कुछ के लिये को कोई कौन क्या खेलने गये गुजरात घर घोड़ा चला चारों छपरा जब जाकर जी जो तक तब तरफ तुम तुम्हें तो था थी थे दिन दिया दूर दे देखकर देखा देखि दो दोनों नटिनी नहीं नाहीं नीचे ने कहा पर पलंग पास पेड़ पोसन सिंह प्यारे बचनवाँ रे ना बड़ा बड़े बलकी कुमारी बहुत बाद बोले भइ सवा रे भइले भी मनमें महादेव माता मुझे में मैं मोर मोहना यह यहाँ रहा रहे राजकुमार राजा राजाने रानी राम रे दहबा रे ना रामा रेना लगा लगी ले लेकर लेह वह वहाँ वाराणसी सब समय सवा रे ना सात साथ सुग्गा सुन्दर से सो हम हिरनी ही हुआ हूँ हे है है कि हैं होकर