Prācīna Bhārata meṃ striyoṃ ke krīṛā evaṃ manovinoda |
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अथर्ववेद अपने आदि इन इस इस प्रकार उत्सव उत्सवों उल्लेख मिलता है उस ऋग्वेद एक एवं और कर करती थीं करने के कला कलाओं कहा गया है कामसूत्र कारण काल में कालिदास किन्तु किया है की कुछ के लिए के साथ को क्रीड़ा क्रीड़ाओं खेल गई गया है कि गये गीत ग्रन्थों में चित्र चित्रकला जाता था जो ज्ञात होता है तक तथा थी थे दिया द्वारा नहीं नाटक नाम नृत्य ने पत्नी पर पुराण पृ० प्रकार के प्राचीन भारत में प्राप्त होता है बम्बई ब्राह्मण भाग भी मनोरंजन के मनोविनोद महाभारत में भी में स्त्रियों यह या रघुवंश राजा रामायण रूप से वर्णन वह वही वाद्य वाराणसी विशेष विष्णु वीणा वे वैदिक काल शतपथ ब्राह्मण शिक्षा संगीत समय समाज से स्त्रियाँ स्त्रियों के स्त्री स्पष्ट ही हुआ है हुई हुए हैं हो होता था होता है कि होती थी होते होने