Pūjā kī devīNīla Kamala Prakāśana, 1971 - 183 pages |
Common terms and phrases
अपनी अपने अब इतना इन्द्रराज इस उत्तर उसकी उसके उसने उसे एक ऐसा ओर और कनखियों से कभी कर करने कह का कि किया किसी कुछ के लिये केवल कोई क्या क्यों गई गये गुस्से में घर घोर चाय चुप जब जरा जैसे जो तक तुम तुमने तुम्हारे तुम्हें तो था थे दिन दिया दी देख देखकर देखते हुये देखा देव की देव ने दो दोनों नहीं नीरा को नीरा ने नोरा पम्मी पर परन्तु पवन पश्चात् पुनः पूछा प्यार प्रकार प्रोर फिर बस बहुत बात बोली भाई भाभी भी भोर मुंह मुझे मुस्करा मेरा मेरी मेरे मैं मैंने मोर यदि यह रह रहा रहा था रही थी रहे राम राम ने लगा लगी लिया ले वह शराब शादी श्याम ने सकता सब समय साथ सिगरेट सुनीता से देव से नीरा स्वर में हनुमान हम हाथ ही हुई हुये कहा हुये बोला हूँ है हैं हो गई हो गया