Sūraja meṃ lage dhabbāKitāba Ghara, 1989 - 204 pages |
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... दिन हो गये और तुमने उत्तर एक सप्ताह में चाहा था । मैं भी चाहती ... दिन भर उल्टी , दस्त और तुन्ती । ' तुन्ती ' नाम किच्चू की खोज है । डेढ़ ...
... दिन हो गये और तुमने उत्तर एक सप्ताह में चाहा था । मैं भी चाहती ... दिन भर उल्टी , दस्त और तुन्ती । ' तुन्ती ' नाम किच्चू की खोज है । डेढ़ ...
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... दिन के अन्दर ही अवतार मुझे मिलने आया था । खादी का बढ़िया कुर्ता , जिसकी बटनें कंधे से ऊपर तक जाती थीं और जो एकदम हिन्दुस्तानी लग रहा ...
... दिन के अन्दर ही अवतार मुझे मिलने आया था । खादी का बढ़िया कुर्ता , जिसकी बटनें कंधे से ऊपर तक जाती थीं और जो एकदम हिन्दुस्तानी लग रहा ...
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... दिनों एक रुपये " का गंदा खाना खाकर सड़क पर उसे घूमते हुए । एक लेखक और निर्देशक के विदेशों में क्या सम्बन्ध होते हैं मुझे नहीं मालूम ...
... दिनों एक रुपये " का गंदा खाना खाकर सड़क पर उसे घूमते हुए । एक लेखक और निर्देशक के विदेशों में क्या सम्बन्ध होते हैं मुझे नहीं मालूम ...
Contents
बात धब्बों को | 12 |
मेरा विद्रोह जोड़ बाकी नहीं है कुलवंत कोछड़ | 24 |
दर्शकों को थप्पड़ मारकर समझाना पड़ता है | 39 |
Copyright | |
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Common terms and phrases
अधिक अपनी अपने अब आज आदमी आप आपको आपने इस उपन्यास उस उसका उसकी उसके उसने उसे एक ऐसा कभी कर करता करते हैं करना करने कहा कहानियां कहानी कहीं का काम कारण किया किसी की की तरह कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्यों क्योंकि गया गये घर चाहिए जब जा जाता है जाती जाने जी जीवन जैसे जो तक तुम तो था थी थे दिन दिया दिल्ली दुष्यन्त दो नहीं नहीं है नाटक नाम ने पर पहले पास पीढ़ी फिर बहुत बात बाद बार बाहर भी भी नहीं मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यही या ये रमेश बक्षी रहा है रही रहे हैं लगता है लगा लेकिन लेखक लोग लोगों वह वाले वे सकता है सब समय सामने साहित्य से स्थिति हम हर हाथ हिन्दी ही हुआ हुई हुए हूं है और है कि हो होगा होता है होती होने