Ādhunika kaviyoṃ kī dārśanika prashṭhabhūmiPhilosophy in the poetry of 20th century Hindi poets. |
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अनेक अपनी अपने आज आत्मा आदि इस इसी ईश्वर उद्धव उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसी उसे एक एवं ऐसा ओर कर करता है करती करते हैं करने कवि कवि ने कविता कहते कहा का काव्य में किया है किसी की कुछ कृष्ण के कारण के प्रति के लिये को कोई क्या गया है गुप्त जी जगत जब जिस जिसमें जी जी ने जीव जीवन जीवात्मा जो तक तथा तरह तुम तो था थे दर्शन दो नहीं है नियति निराला ने पर परन्तु परमात्मा प्रकार प्रसाद फिर बात ब्रह्म के भाव भावना भी मन मनुष्य महादेवी वर्मा मानव मानवता माया मैं यदि यह यहाँ यही या रत्नाकर रहा है रही रहे राम रूप में वह वही विश्व वे व्यक्त शक्ति शिव संसार सकता सत्य सब सभी समाज साथ साहित्य सुख सृष्टि से हम ही हुआ हूँ है और है कि होकर होगा होता है होती होने