कविता की वैचारिक भूमिका |
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अज्ञेय अनुभव अपनी अपने अभिव्यक्ति अर्थ आज इस कविता इसके उनकी उस उसका उसकी उसके उसे एक ओर और विचार कर करता है करते करना करने कवि के कविता के कविता में कविता-संग्रह कविताओं में कहीं का काव्य किया किसी की कविता कुछ के प्रति के रूप में के लिए को कोई क्या गया है गयी चेतना जब जहां जा सकता है जाता है जाती जाने जो तक तथा तनाव तरह तो था दिया दृष्टि देता देती है देने द्वारा नहीं है ने पर परिवर्तन पहचान प्रक्रिया बना बात बिम्ब भी में भी मैं यथार्थ यह यहां या ये रचना रचनात्मक रहा रही रोमानी लंबी लम्बी कविता वह वाली वास्तविकता विचार विधान वे वैचारिक व्यक्ति व्यवस्था संघर्ष संदर्भ में संदर्भों संभव संयोजन सकता है सकती समकालीन सामाजिक से स्थिति स्थिति के ही हुआ है हुई हुए हूं है और है कि है जो हैं होकर होता है होती होने