संस्कृत नाटकों में नाट्य निर्देशStudy of Sanskrit drama. |
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अंक 3 पृ० अंक में अतः अतिरिक्त अधिक अन्य अपनी अपने अभिनय अलग-अलग आदि इति इन इस प्रकार इसी उनके एक एवं कई कथन कथनों कर करता है करते हैं कहीं का आभास का प्रयोग कालिदास किया गया है किसी की की सूचना कुछ के लिए केवल को जनान्तिकम् जहाँ जा सकता है जाता है जाना जाने जैसे जो तक ततः प्रविशति तथा तो था दिखाई दिया दृश्य देने द्वारा नहीं नाटक नाटकों के नाटयति नाट्य निर्देश निर्देशों का ने नेपथ्य परन्तु पर्दे पात्र पात्रों के प्रकार के प्रवेश प्रसंग प्रसंगों में भाव भास भी मंच पर में भी यह यहाँ या ये रत्नावली रथ राजा राम रावण रूप में रूप से लक्ष्मण वर्णन वह विभिन्न विशेष विषय में विषयक वेशभूषा शकुन्तला श्लो० संभाषण सभी साथ सीता सूचक सूचित स्थान स्थिति स्पष्ट ही हुआ है हुए है और है कि हो होगा होता है होती होने