Gurjjareśvara |
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अनेक अपना अपनी अपने अर्णोराज अवश्य आर्य इस उदयन उनके उन्हें उस उसकी उसके उसे एक एवं और कक्ष कर करती करते हैं करना करने का किन्तु किया की की ओर कुछ कुमार कुमारपाल कुमारपालदेव कुमारश्री कृष्णदेव के प्रति के लिये को क्या गठबन्धन गया गुप्तचर गुर्जर गुर्ज्जर गौरव चाहड़देव चाहते जब जय जा जाता जाती है जाते हैं जाय जीवन तक तथा तब तुरंगाध्यक्ष तुरंगाध्यक्ष के तो था थी थे दण्डनायक दिया दूर दृष्टि देव देवि नतमस्तक नहीं है ने पत्तन पर परिषद् पुरुष प्रतीक्षा प्रवेश भी मण्डल महता महादेव महोदय मुद्रा में यदि यह रंजना रहा है रही रहे हैं राज राजनीति रामभद्र रुद्रपाल वह वे व्यक्ति शक्ति शाकम्भरी शासन श्री श्रीदेव संकेत सकता समय सम्भा सम्राट् सहसा साथ सिंहासन पर सुमोहा सुमोहा के से सैनिक सोमनाथ स्वर स्वर्गीय स्वामिनी हम हमारी हमारे हमें हाँ ही हुआ हुई हुए हूँ हैं हो होकर होगा होता है होते