Bhāshā aura saṃvedanā |
Common terms and phrases
अज्ञेय अथवा अधिक अन्तर अपनी अपने अपेक्षया अब अर्थ अवधी आधुनिक इन इस इसी इसीलिए उनकी उनके उस उसकी उसके उसे एक ओर और कई कर करता है करती करते हैं करना कवि कविता कविताकी कहा का कारण काव्य काव्य-भाषा किया किया है किसी की कुछ के केवल को कोई क्या क्योंकि गया है जब जा सकता है जाता है जाती जैसी जैसे जो तक तथा तुक तो था थी दिया दूसरी दृष्टिसे दो द्वारा नयी नये नहीं नहीं है पर पुराण प्रकार प्रतीक प्रयोग प्रस्तुत प्रायः फिर बहुत बात ब्रजभाषा भाव भाषा और भाषाके भाषामें भी महत्त्वपूर्ण में मौलिक यदि यह यहाँ या ये रहा है रही रूप रूपमें लिए वह विकसित वे व्यापक शब्द शब्दोंके शायद संवेदना सकती सकते हैं सन्दर्भ सम्भव साथ सामान्य साहित्य से स्तरपर स्थिति स्पष्ट हम हमारे हिन्दी ही हुआ हुई हुए है कि हैं हो सकता होकर होगा होता है होती होते