Bhagavatīcaraṇa Varmā

Front Cover
Sāhitya Bhavana, 1968 - 202 pages

From inside the book

Contents

Section 1
1
Section 2
6
Section 3
6

11 other sections not shown

Common terms and phrases

अधिक अपना अपनी अपने आत्मा इन इस इसके इसलिए उनका उनकी उनके उन्होंने उपन्यास उपन्यास में उस उसका उसकी उसके उसने उसमें उसे ऐसा ओर कथा कथानक कर करता है करते करना करने कहानी का किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्योंकि गया गयी चरित्र चित्रण चित्रलेखा जब जहाँ जा जाता है जाती जी जीवन जो तक तथा तुम तो था थी थे दिया दूसरे देता दो द्वारा नहीं है पर पात्र पात्रों प्रकार प्रकृति प्रति प्रत्येक प्रस्तुत प्रेम फिर बन बात बाद भारत भी मन मनुष्य मुझे में मेरे मैं यह यहाँ या रहा रही रूप में रेखा लखनऊ लेकिन लेखक ने वर्ग वर्मा वर्माजी वह वाले विकृति वे व्यक्ति संघर्ष सकता सब समाज सम्बन्ध सामर्थ्य सीमा से स्वयं हम हमें ही हुआ है हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होता है होती होने

Bibliographic information