Rājasthānī loka-sāhitya kā saiddhāntika vivecana

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Rājasthāna Sāhitya Mandira, 1980 - Folk literature, Rajasthani - 373 pages

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अनेक अन्य अपनी अपने अवसर आदि इन इन कथाओं इस प्रकार इसके उदाहरण उल्लेख उस उसके उसे एक एवं ऐसी ऐसे कई कथा कथाएँ कथाओं में कर करता है करती करते हैं करना करने कहा कहावतों का किया गया है किये किसी की कुछ के रूप में के लिए के साथ को कोई ख्याल ख्यालों गयी गये गाथाओं गाये गीत गीतों में घर चित्रण जाता है जाती जाते हैं जाने जाने वाले जी जीवन जो तक तथा तो था थे दिन दिया दृष्टि दो द्वारा नहीं नाम ने पति पर प्रकार के प्रयोग प्रस्तुत प्रेम बहुत बात भारत मनुष्य मानव में भी म्हारी यह यहाँ या ये रहा है रही रा राज राजस्थानी राजा री रूप से रे रो रौ लोक वर्णन वह वाली वाले विवाह विशेष व्यक्ति शब्द सकता है सभी समय से ही हुए है और है कि हो होता है होती होते होने

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