Nadī Phira baha calī1961 - 334 pages |
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अच्छा अपनी अपने अब अभी आई आगे आया आवाज इस उस उसका उसकी उसके उसने उसे एक और कर कलुआ का काम कि किया किसी की ओर की माँ कुछ के लिए के साथ कोई क्या क्यों गई गए गाँव घर घर में चली जगलाल जनार्दन राय जब जा जाता जो तक तब तरह तुम तुम्हारे तो था और थीं थे दिया दे देखा दो दोनों नहीं नहीं है ने कहा ने पूछा पर परबतिया को परबतिया ने परबतिया बोली पानी फिर बहुत बहू बात बातें बाद बाप बाबू बाहर बोला बोली भउजी भर भी मगर मत मरद महतो मुँह मुझे में मेरे मैं यह यहाँ रहा था रहा है रही थी रहे थे रात रोज लगा लगी लाल लिया ले लेकर लोग वह वे सकल सब साड़ी सामने सुगिया से सो हनुमान हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है है कि हैं हो गई होगा होता