Mūla sūtra, eka pariśīlanaStudy of four Mūlasutta, group of Jaina canonical text. |
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अतः अध्ययन में अनेक अन्य अपने अर्थ आगम आगमों आचार्य आत्मा आदि आर्य आवश्यक इन इस इस प्रकार उत्तराध्ययन उनके उन्होंने उल्लेख उस उसके उसे एक एवं कर करके करता है करना करने कहा का का नाम कारण किन्तु किया गया है किया है की के रूप में के लिए के साथ को गई गाथा ग्रहण चार चिन्तन जाता है जी जीवन जैन जो ज्ञान तक तथा तप तो था थी थे दर्शन दशवैकालिक दिया दृष्टि से दो दोनों द्वारा धर्म नन्दी नन्दीसूत्र नहीं नहीं है ने पर परम्परा पश्चात् पूर्व पृष्ठ प्रकार प्रथम प्रस्तुत प्राकृत प्राप्त बौद्ध भगवान महावीर भाव भी भेद महाभारत माना मुनि मूल में भी यह या ये रहे रूप से वर्णन वर्ष वह वही वाले वृत्ति वे व्याख्या शब्द श्रमण श्री श्रुत सभी समय सम्बन्ध सम्यक् साहित्य सूत्र ही हुआ है है और है कि हैं हो होता है होती