Hindī kī pragatiśīla kahāniyām̐: Svatantratā-prāpti taka

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Rādhākr̥shṇa, 1986 - Short stories, Hindi
Selected progressive Hindi short stories; published on the occasion of the 50th anniversary of launching of progressivist movement in Indic literature.

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Contents

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1
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12
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20

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अपनी अपने अब आज आदमी आया आयी इस उस उसका उसकी उसके उसने उसे एक और कबीर कभी कर करता करते करने कहा कहाँ कहीं का काम कि किया किसी की की ओर की तरह कुछ के पास के लिए के साथ को कोई क्या क्यों गया था गयी गये गाँव गाड़ी घर जब जा जाता जाती जाने जैसे जो तक तब तुम तो था कि थी थीं दिन दिया दी दे देखा देर दो दोनों नहीं नहीं है ने ने कहा पर पहले पूछा फिर बच्चे बहुत बात बाद बार बाहर बोला भी मन ममी माँ मुँह मुझे में मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या रहा था रहा है रही थी राजा रात लगा लिया लीना ले लेकर लेकिन लोग वह वहाँ वे सब सामने साहब से हम हाँ हाथ हिरामन ही ही नहीं हुआ हुई हुए हूँ है है कि हैं हो गया होगा होता होने

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